निर्भया के दोषियों की फांसी में हो रही देरी को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. इस बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा कि मृत्युदंड के मामलों में दोषी को दी गई सजा पर अमल को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन सिर्फ अपराधी के हितों की बात करती है. यह गाइडलाइन पीड़ित को राहत देने की बजाय दोषियों को ही राहत देती है और राहत के विकल्प मुहैया कराने पर फोकस रखती है.
केंद्र सरकार ने अपनी अर्जी में साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई गाइडलाइन को चुनौती दी गई है. शीर्ष कोर्ट ने शत्रुघ्न चौहान बनाम सरकार के मामले में फैसला सुनाते हुए यह गाइडलाइन जारी की थी. केंद्र सरकार ने अपनी अर्जी में दलील दी कि यह गाइडलाइन सिर्फ दोषी और अपराधी के अधिकारों की हिमायती है. पीड़ित पक्ष के अधिकारों को लेकर यह गाइडलाइन पूरी तरह से खामोश है, जबकि दोनों पक्ष के बीच संतुलन होना चाहिए. यह गाइडलाइन एकतरफा है.
फांसी की तारीख बदले जाने पर छिड़ी है बहस
निर्भया के दोषियों के हर बार कोर्ट पहुंचे और फांसी की तारीख बदले जाने को लेकर बहस छिड़ी हुई है. केंद्र सरकार ने कहा कि अगर राष्ट्रपति द्वारा किसी दोषी की दया याचिका खारिज हो जाती है, तो उसे सात दिन के अंदर फांसी दे दी जाए. उसकी पुनर्विचार याचिका या क्यूरेटिव पिटीशन को कोई अहमियत नहीं दी जानी चाहिए.