गोवा सरकार के एक अधिकारी ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) में बैठने के लिए कोई विशिष्ट ड्रेस कोड नहीं है. 'हिजाब' पहनने के कारण एक छात्रा की ओर से द्वारा राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) में बैठने से रोकने का आरोप लगाने के बाद गोवा सरकार ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी को पत्र लिखकर कहा कि छात्रा को परीक्षा में बैठने दिया जाना चाहिए था.
दरअसल, पिछले महीने सफीना खान सौदागर (24) ने कहा था कि पणजी में एक परीक्षा केंद्र में सुपरवाइजर ने उन्हें हिजाब (सिर पर पहना जाना वाले स्कार्फ) उतारने के लिए कहा था और जब उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया तो उन्हें परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया. गोवा के उच्च शिक्षा निदेशक प्रसाद लोलिएनकर ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी को लिखे पत्र में कहा, 'छात्रा को परीक्षा में बैठने दिया जाना चाहिए था.'
प्रसाद लोलिएनकर ने एक जनवरी को भेजे गए पत्र में लिखा है कि पहली नजर में यह स्पष्ट है कि संबंधित वेबसाइट या किसी अन्य जगह परीक्षा के लिए ड्रेस के नियम के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है. खासकर, हिजाब या किसी दूसरी पोशाक पर रोक जैसी कोई बात नहीं है. उन्होंने कहा, 'अगर किसी वजह से हिजाब पहनने की इजाजत नहीं है तो भी निर्देशों में इसका स्पष्ट रूप से जिक्र होना चाहिए.'
उन्होंने कहा कि परीक्षा लेने वालों और सुपरवाइजरों को आवेदकों की निजी स्वतंत्रता और और धार्मिक भावना के प्रति संवेदनशील होना चाहिए.
पिछले महीने 18 दिसंबर को हिजाब उतारने से मना करने पर दिल्ली और गोवा में एक-एक छात्रा नेट (राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) की परीक्षा में शामिल नहीं हो सकी थीं. देशभर में आयोजित नेट की परीक्षा के लिए दिल्ली में उम्मैया खान और गोवा में सफीना खान सौदागर को परीक्षा केंद्र में प्रवेश करने से रोक दिया गया था. इसके बाद सफीना खान ने आरोप लगाए कि पणजी में 18 दिसंबर को जब वह परीक्षा केंद्र पर पहुंची तो पर्यवेक्षक ने उनसे हिजाब हटाने के लिए कहा. जब उन्होंने ऐसा करने से इंकार कर दिया तो उन्होंने उसे परीक्षा में बैठने नहीं दिया.